लाजवंती कहनी कोठे वाली की । - 1 Mr Rishi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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लाजवंती कहनी कोठे वाली की । - 1

यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बहुआपुर की रहने वाली लाजवंती की है ,लाजवंती 18 साल की थी।

लाजवंती कुर्ती और अपने बदन पर हमेशा एक दुपट्टा लिए रहती थी ।

उसकी मां कुछ ही हफ्ते पहले चल बसी। अब मानो जैसे लाजवंती पे दुखो का पहाड़ टूट सा गया हो ,लजवंती के पिता में जुआ खेलने से लेकर दारू पीने तक हर तरह की एक से बढ़ कर एक बुरी आदतें भरी पड़ी थी।अब जब कि लाजवंती उम्रद राज हो गई थी, पुरे गांव के घर घर जाके झाड़ू पोंछा जैसे काम किया करती थी।

और जो भी पैसे मिलते उससे घर चलाती जब ये बात लाजवंती के पिता को मालूम चला की उसकी बेटी दूसरों के घर काम कर रही है और जो भी पैसे मिलते है ओ उसे देने के बजाए खुद ही रखती है ओ लाजवंती को पूरे गांव के सामने बड़े ही बेरहमी से मारता है।सारे गांव वाले बस तमाशा देख रहे थे। ओ कर भी क्या सकते थे जब पिता ही ऐसा हो जिसे अपनी बेटी की डोली उठानी चाहिए ओ जवान बेटी पर हाथ उठा रहा है।

काफी देर तक मारने के बाद सारे पैसे लेकर जुआ खेलने चला जाता हैं। लाजवंती अपने घर में खटिया पर ही रोते रोते सो गई शाम को जब उसके पिता नशे में धुत हो कर बाहर लाजवंती को जोर जोर से आवाज देते है"लाजवंती कहा है बाहर निकल"ऐसे चिल्लाने की आवाज़ सुनकर लाजवंती डर जाति है।और डरते हुए बाहर निकल कर जाति है। उसके पिता उसके तरफ बढ़ते हैं।और उससे खाने के लिए कुछ लाने को कहते है,पर लाजवंती ने खाने में कुछ भी नहीं बनाई होती है क्योंकि घर में अनाज के एक भी दाने नही बचे थे, और जो भी पैसे थे ओ सब उसके पिता लेकर जुआ में उड़ा आए ।

लाजवंती जब खाना नही देती है तब उसके पिता ने उसे इतनी बुरी तरह से मारा था की उस में इतनी भी हिम्मत नहीं बची थी की ओ उठ कर घर के अंदर जा सके। ये सब अत्याचार पड़ोस में रहने वाली विमला से देखा नही गया। उसके पिता के वहा से जाने के बाद विमला लाजवंती को अपने घर ले कर गई और उसे अच्छे से दावा किया ,खाने को दिया,और रात भर अपने ही घर में रुकने को भी कहा ।लाजवंती ने जैसे तैसे करके रात गुजारी ।

सुबह सुबह लाजवंती के घर के बाहर हल्ला मचा हुआ था। दरअसल गांव के जमींदार गधारी सेठ से लाजवंती के पिता ने बहुत कर्ज लिया हुआ था,जिसका ब्याज भी उसने नही भरा होता है।

धीरे धीरे गांव के सभी लोग वहा इक्कठा हुए।वहा लाजवंती भी आई तभी गंधारी सेठ के कुछ लोग लाजवंती के पिता को बुरी तरह से मरने लगे ये देखते ही लाजवंती आगे आई और गंधारी सेठ के पैरों पर गिर कर ऐसा करने से रोकने को कहती है"हुजूर हमारे बाबूजी को छोड़ दो" । गंधारी सेठ एक लंबा कदवाला और काले टीका और लंबी बड़ी मूछे रखता था उसकी सकल किसी राक्षस से कम नही था । गंधारी सेठ की नजर लाजवंती पर सालों से था पर जब तक लाजवंती की मां जिंदा थी ओ उसे बचा कर रखती थी ।

गंधारी सेठ लाजवंती को अपने पैरों से उठाते हुए कहता है उसके कंधे पर हाथ रख कर सहलाते हुए कहता है, "ठीक है मैं इसे छोड़ दूंगा पर मेरा क्या फायदा होगा तेरे बाप ने जितना भी कर्ज लिया है उसका ब्याज भी नही दिया हैं अब तक पर मेरे पास एक तरकीब है, मैं सारे कर्ज माफ कर दूंगा उपर से 10 हजार और दूंगा पर मेरी एक शर्त है"___

जैसे ही लाजवंती के पिता गंधारी सेठ के मुंह से ये बात सुनता है, की कर्ज माफ करने के साथ साथ उसे 10 हजार और भी देगा। ओ बीना कुछ सोचे समझे बीच में बोल पड़ा "सेठ जी आपका जो भीं शर्त है मुझे मंजूर है"तभी गंधारी सेठ मुस्कान भरी निगाहों से लाजवंती के तरफ देखते हुए कहता है" मुझे तुम्हारी बेटी से शादी करनी है।"जैसे ही ये लाजवंती गांधरी के मुह से सुनती है मानो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई ।

गंधारी उम्र में लाजवंती से 40 वर्ष बड़ा था। उसके पिता तुरंत लाजवंती के हाथ को गंधारी के हाथ में देते हुए कहता है "ये भी कोई पूछने वाली बात है ऐसा रिश्ता तो ढूंढ ने से भी नही मिलेगा ,मेरी बेटी ने सायद पिछले जन्म में कोई पुण्य की होगी जो इसे आपकी पत्नी बनने का सौभाग्य मिल रहा है।

गांव वाले चुप चाप खामोशी से बस देख रहे थे, आखिर ओ कर भी क्या सकते थे,जब पिता ही राक्षस की तरह हो,लाजवंती अपनी पिता के लिऐ हुए कर्ज को चुकाने के लिए गंधारी सेठ के साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गई। गंधारी सेठ अपने सातीर चाल से आखिर कार लाजवंती को हासिल कर ही लिया।

गंधारी। सेठ के कहे अनुसार 10 हजार रुपए उसे दे देता है। और वहा से चला जाता है।सब गांव वाले भी अपने अपने काम पर चले जाते है। लाजवंती के पिता भी पैसे लेकर जुआ खेलने चला जाता है। बस अकलीलाजवंती वही पर घुटने के बल बैठी हुईं रोए जा रही थी।तभी वहा विमला आई और लाजवंती को चुप कराते हुए कहती है"तू क्यों इतना जुल्म सह रही है, अरे तू जिसके लिए खुदकी जिन्दगी बर्बाद करने के लिए तैयार हो गई है, उसे तेरी ही फिक्र नहीं हैं।"लाजवंती कुछ बोलने के हालत में नही थी वो बस रोए जा रही थी।

विमला लाजवंती को अपने साथ अपने घर ले जाति है,और उसे अगर चैन से रहना है तो ये गांव छोर कर कही दूर जाने को कहती है और अपने ज़िंदगी को एक नए सिरे से शुरू करने के लिए कहती है।पर लाजवंती ये बखूबी जानती थी की अगर वो ये गांव छोड़ कर भागी तो गंधारी सेठ उसके पिता को सायद कुछ कर न दे।।

(विमला बहुत समझाने की कोशिश करती है की ओ उस पिता के लिए अपने आपको जीते जी नर्क में धकेल रही है जिसे उसकी कोई फिक्र नहीं है।) विमला कुछ और बोलती उससे पहले लाजवंती वहा से उठ कर वापास अपने घर चलीं गई।

कैसे कोई पिता अपने ही बेटी के साथ ऐसा जुल्म सकता है?और क्या होगा लाजवंती के साथ?ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी। LAJWANTI (KAHANI KOTHE WALI KI)